संत श्री श्री 1008 आत्मानन्द जीमहाराज का जीवन परिचय

पूरा नाम :- संत श्री 1008 श्री शिक्षा
सारथि स्वामी आत्मानन्द सरस्वती जी
महाराज
जन्म का नाम :- अचल सिंह
जन्म तारीख 3 सितंबर, 1924 (विक्रम सम्वत
सुक्लापक्सा भाद्रपद चतुर्थी १९८१ - बुधवार)
पिता श्री. जी देवीसिंह राजपुरोहित गुन्देचा
(गुन्देशा)
माता का नाम :- श्रीमती मंगु देवी
जन्म स्थान :- बारवा गांव
तहसील:-बाली
जिला - पाली (राजस्थान)
गुरु का नाम :- श्री जगद्गुरु शंकराचार्य के शिष्य
श्री 1008 श्री अनंत महाराज ज्योतिपीठ
शांतानंद सरस्वतीजी
संत श्री 1008 श्री शिक्षा सारथि स्वामी
आत्मानन्द सरस्वती जी महाराज ने अपने यौवन
काल से ही एक ऊंचे और तपस्वी का जीवन
व्यतीत किया है! नियम और व्रतों का पालन
जिस श्रद्धा और कड़ाई से ये करते हैं वैसा हमने आज
तक दूसरे किसी व्यक्ति को नहीं करते देखा !
जिन लोगों ने संत श्री को निकट से देखा है वे
इस बात की सत्यता से भलीभांति परिचित
होंगे! संत श्री बहु प्रतिभा के धनी हैं! इनका
जीवन प्रारम्भ से ही कर्ममय रहा है और बालकों
की शिक्षा की तरह ही कन्याओं की शिक्षा
पर भी बहुत बल दिया है!

विशेषता:-
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महान कर्मयोगी, सरस्वती जो राजपुरोहित
समाज में शिक्षा क्षेत्र असीम योगदान
."अध्यात्मिक महापुरुष " घोर तपस्वी , संत श्री
द्वारा सुंदर वक्ताओं ने शिक्षा के क्षेत्र के
विकास में सामाजिक हॉस्टल का गठन और
आपको को शिक्षा विद के नाम से जाने जाते है
क्योकि आपने हॉस्टल राजपुरोहित जालोर,
पाली (मारवाड़ , फलना, रानीवाडा ,
कलंदरी, जोधपुर (तीसरा विस्तार), सिरोही,
भीनमाल और अहोरे और राजपुरोहित समाज
के भवन भवंस - सांचौर , सिरोही, कलंदरी ,
पाली, निम्बेश्वर आदि समाज के कई जगह आज
हॉस्टल पर संत श्री के नाम से भी प्रमुख स्थानों
में विकसित कर रहे हैं.
पुरानी झील और महादेव मंदिर का भी
निर्माण किया है आपने कई गौशाला के
विकसित किया है संत श्री श्री 1008 श्री
आत्मानन्द जी महाराज की समाधि जालौर
में है!

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