पीर श्री शांतिनाथ जी अपने कृतित्व और
व्यक्तित्व के कारण हर धर्म के लोगों में पुजे जाते
हैं! उनके शांत स्वरूप और आकर्षक चित्त की ओर हर
कोई बरबस ही आकर्षित हो जाता था!
मुस्लिम समाज की ओर से भी उन्हें पीर की
उपाधि दी गई। वे सिरे मंदिर और भैरूनाथ
अखाड़ा जालोर के पीठाधीश्वर बने! श्री
भोलानाथ केब्रह्मलीन होने के बाद विक्रम संवत
2025 में कार्तिक शुक्ल सप्तमी को उन्हें यह
गादी मिली। तभी से उनके भक्तों की संख्या
बढऩे लगी।
उनका जन्म जालौर शहर के निकट भागली
सिंधलान गांव में श्री रावतसिंह जोरावत के घर
विक्रम संवत 1996 में माघ कृष्णा 5 को हुआ। उनके
पिता श्री रावतसिंह संतश्री केसरनाथ जी के
भक्त थे और उनकी प्रेरणा से उन्होंने अपने बेटे को
संन्यास के लिए समर्पित कर दिया। इसके बाद
श्री केसरनाथजी ने उन्हें दीक्षित किया और
धीरे धीरे श्री शांतिनाथजी जन जन के आराध्य
बन गए!
श्री श्री 1008 श्री शांतिनाथ जी महाराज
को शत् शत् नमन
श्री 1008 श्री शांतिनाथ जी महाराज के अंतिम दर्शन