धनला(पाली) गांव का इतिहास

राजस्थान राज्य के पाली जिला मुख्यालय से 60 km दूर  बसा गाँव धनला  जिसे धनाराम मीणा ने बसाया था ।
धनला गांव धार्मिक रूचि रखने के कारण इसे धर्मनगरी से जाना जाता है ।
धनला धार्मिक और राजनीति में उत्तम स्थान है यह व्यापार के अनुसार उत्तम नहीं है
धनला नगर 5000 जनसंख्या वाला नगर है, इस नगर में बैंक ,पोस्ट ऑफिस, यातायात के साधनों  की सुविधा है,इस नगर में एक पंचायत भवन भी है ।
इस नगर में 5 विधालय है । जिसमे पहला नाम शांति बाल निकेतन उच्च प्राथमिक विद्यालय धनला , जिसे स्वर्गीय देवीसिंह की स्कूल से जाना जाता है इस स्कूल में अध्ययन उत्तम माना जाता है
दूसरा नाम राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विधालय धनला जो सरकारी है यह 10 वीं तक स्कूल है यह गांव के बीचोबीच है
तीसरा नाम m s h राज.उच्‍च माध्‍य.वि.धनला का आता है यह स्कूल लगभग 2 एकड़ की भूमि में फ़ैला हुआ है इसका निर्माण धनला के भामशाह दानवीर मेहता सावंतराज हड़मतराज ने करवाया था जो 20 साल पुराना स्कूल है जो पाली जिले के स्कूलो में दूसरा स्थान आता है । यह स्कूल पूरा जोधपुरी पत्थर से बना हुआ है इसका उद्गाटन गुलाबचंद जी कटारिया के कर कमलो से समापन हुआ उसी दिन इस स्कूल को govt को अपनी स्कूल की चाबी सौँपकर सावर्जनिक कर दिया इसमें लगभग 40 कमरे है  भूगोल विषय भी  हैै ।
चौथा और पांचवा नाम govt स्कूल एंड सुभाष पब्लिक स्कूल का आता है शिक्षा के क्षेत्र में धीरे धीरे उन्नति कर रहा है ।
धनला नगर मंदिर और देवी देवताओ के मंदिर धार्मिक महत्व रखता है इसी कारण धनला भामाशाहो दानवीरों की सहायता से सभी मंदिर सलामत  हैै
हनुमान जी का मंदिर
देवनारायण का मंदिर
सारजी महाराज का मंदिर
शनि भगवन का मंदिर
महादेव जी का मंदिर
चारभुजा का मंदिर
आई माता का मंदिर
संतोषी माता का मंदिर
जलेरी माता का मंदिर
गाजर माता का मंदिर
शिव जी। का मंदिर
रामदेव जी का मंदिर
ओसिया माता का मंदिर
शीतला माता का मंदिर
चेली माता का मंदिर
भेरूजी  का मंदिर
सारजी महाराज का मेला भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा को भरा जाता है इस मेले को भूरा राठौर के नाम से भी जाना जाता है इस मेले में विशेष तौर जैन समाज के हाथो लापसी भोग रखा जाता है इस मंदिर के ट्रस्टी ठाकुर जसवंत सिंह के सुपुत्र करणसिंह  है ।
पर्चा मरण आदमी को जीवित करना इस मंदिर का विख्यात पर्चा है इस मेले में रात्रि जागरण में भजन कला जादू नाच गान भी होता है
इस दिन धनला बाजार बंद रखा जाता है शाम 5 बजे भोपाजी बुज का आयोजन होता है हनुमान का मेला जिसे बालाजी के मेले के रुप में जाना जाता है यह मेला चैत्र शुक्ल एकम को भरा जाता है इस मेले में भी लापसी प्रसाद का आयोजन होता है इसके साथ अपनी यथाशक्ति ठंडे पानी या शरबत पिलाकर अपना धर्म पुण्य कमाते है
चारभुजा का मंदिर जिसकी प्रतिष्ठा 30 मई 2013 को संत श्री बालकदास जी महाराज के कर कमलो से सम्पन हुई थी यह मंदिर राजपुरोहित गोत्र केदारीया समाज ने बनाया इसमें युवा पीढ़ी का भरपुर सहयोग रहा है ।
शनि महाराज का मंदिर दाती मदन महाराज के आदर्श को मानकर जैन समाज के एक बंधु ने बनवाया था ।
चेली माता का मंदिर धनला नगर से करीब दो किलोमीटर दुरी पर हर वर्ष भाद्रपद शुक्ल बीज को मेला भरा जाता है इस मेले में राई और गैर का आयोजन होता है और प्रसादी में गुंगरी चना का प्रसादी दी जाती है
धनला नगर से 1 km दुरी पर ओसिया माता का मंदिर जो भव्यता सुंदरता विशालता के लिए जाना जाता है जो जैन समाज के कर कमलो से बनाया गया है जो मनोरंजन के लिए उत्तम है
धनला के पास गुमानपुरा है जो सन् 1800 में ठाकुर गुमानसिंह जी ने बसाया था |
लेखक~दीपेंद्र सिंह केदारीया धनला पाली
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