राजपुरोहित समाज के बारे में कुछ पक्तियां भगवान सिंह तालका द्वारा

राजपुरोहित समाज के बारे में कुछ पक्तियां

1 : गढ बीकाणे मान लड्यो,
महेश ज्यारो नाम ।
मावोत ज्यारो वंश कहिज्यो,
कोलासर हो गांव ।।

2 : जगन्नाथ किरत जागीरदार,
हेलो कोष हजार ।
पुरोहित वंश बिठा करे,
सेवङ पुत्र आधार ।।

3 : राजगुरू गुमान लङे,
स्वरूप महला बीच ।
सरस्वती रा पुत्र लड्या,
जालौर गढ में सींच ।।

4 : कानौ लङे तलवार स्यू ,
माथे जस रो जौर ।
मरूधर में सपूत लङे,
पुरोहित कूल कानौत ।।

5 : किशनासर रौ लाडलौ,
रहियो किशन दास ।
जाति जमि किशनावत,
मुख स्यू वरणी ना जाय ।।

6 : गौरा फिरंगीयाँ स्यू लङ्यौ,
शीश छोङ धङ लेर ।
गौरीया ने मार भगाया ,
शिश पङ्यो महिया देश ।।

महिया देश = मेहरी जो कि महिया जाट का बसाया है ।

7 : भैसेर जौधाणे आविया,
राठौङा संग घमसाण ।
दूधो राजा पर कोपियो,
चांवडियां वंश कहाण ।।

8 : तोङ महला जौधाणे तणा,
दूधो लङ्यौ राठोङीयां ।
गांव भैसेर बसाइयां,
चामुण्डा रा चांवडियां ।।

9 : पांव धरे इक बोथियो,
सुणज्यो कोष हजार ।
सुण बेगा आवज्यो,
बोथीया सिरदार ।।

10 : सेवङ कूल रो गढ कहिजे,
भैरूजी रो धाम ।
तोलियासर मोटो नाम है,
देविदास रो गाम ।।

11 : सेवङ कूल रो लाडलौ,
राणावत है नाम ।
माँ भगवती विराजै है,
रणधिसर है गांव ।।

12 : संवत उगणीस सौ उणसीतर,
ब्रम्ह वंश हिन्दवाण ।
खेतेश्वर ने पुज ले ,
ब्रम्ह वंश सब जाण ।।

13 : वशिष्ठ गुरु कहायो,
सरस्वती कूल री ठौङ ।
राजगुरू वंश उपजै,
संसद बङी सिलौर ।।

14 : पांचलौङ पुत्र कहायो,
तुलछी ज्यारो नाम ।
खेतेश्वर गुरु बणायने,
इन्द्राणौ है गांव ।।

15 : आशापुरा रौ लाडलौ,
पूनम पुत्र जागीरदार ।
चौहाण वंश रौ गुरु कहीज्यौ,
रायगुरू सिरदार ।।

16 : पुरोहीता रौ सिरमौङ कहीजै,
जागरवाळ सिरदार ।
ज्वाला माहि उपन्या,
बालक ऋषि रौ दरबार ।।

17 : उदालक वंश आवीया,
खेतेश्वर महाराज ।
खेङा माही प्रगटीया,
मम्माई है मात ।।

18 : जिण दिन मादो जनमियों,
जग में कर्यो नाम ।
नव गज धरती दल चढे,
धन - धन राजगुरा रो नाम ।।

19 : बिन बीयायी पाडकि,
जाचक दूध थफोङ ।
सह देवा में देखीया,
खेतेश्वर ना थारी हौङ ।।

20 : तालका नाम गाम रौ,
डूंगर म्हारौ नाम ।
कुंचलो जी नाथाजी रौ पुत्र कहिजू,
पुनागर री पाग।।

भेजने वाले -:- भगवानसिह राजपूरोहित कुँचला तालका

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