गांव भवरानी का इतिहास

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गाव भवराणी तहसील https://r8oyegintx.com/tqgii6hzr?key=0af5ca073aff76ac6b4d9042b4b5c51e आहोर
जिला जालोर राजस्थान
आज जालोर जिले का ऐतिहासिक गाव भवराणी का इतिहास आपके समक्ष रखने जा रहा हु

भवराणी:-

जालोर जिला मुख्यालय से व तहसील मुख्यालय आहोर से 30किलोमीटर की दूरी पर बसा हुआ है
आहोर तहसील का सबसे बड़ा गाव है
इस गाँव मे लगभग 36 कॉम के लोगो का निवास है
भवराणी गाव में कुल राजपुरोहितो के 110 घर  है
जिनका विवरण:-
1.सांथूआ 40 घर
2.उदेश 20 घर
3.पांचलोड 10 घर
4.नंदवाना 15 घर
5.डावियाल 10 घर
6.राजगुरु10 घर
7.दुदावत 5 घर
सांथूआ का इतिहास
मोटलजी सांथूआ सांथू से अपने ससुराल जा रहे थे 
तभी बिस में भवराणी गाव में मोटलजी ने चौहान ठाकुर के वहा पड़ाव किया था
भवराणी सोनगरा चौहान राजपूतो का गाव था, उस समय पूरे जालोर जिले पर सोनगरा चौहानो का शासन था,तभी गाव के ठाकुर साहब ने कहा कि गुरुजी आप अभी यहां से अतिसिगर प्रस्थान कीजिये हमारे यहां वार होने वाली है ,उस समय मीणो का आतंक था, ओर वो लोग गावो पर आक्रमण करके पशु धन चुरा कर ले जाते थे,तभी मोटलजी सांथूआ ने कहा कि मैने आपके गाव का  अन्नजल ग्रहण किया है इसलिए में भी आपके साथ वार में अपना योगदान दूंगा, मोटलजी सांथूआ के साथ अपने गाँव सांथू से एक भील भी उनके साथ मे था,जब रात के समय मे मीणो द्वारा भवराणी पर वार किया गया उस समय मोटलजी सांथूआ ने अपनी वीरता का परिसय देते हुए युद्ध भूमि में लड़ते लड़ते शहीद हो गए, गाव के चौहान ठाकुर व भील भी वीरगती को  प्राप्त हुए,
श्री मोटलजी सांथूआ भवराणी में वीरगति को प्राप्त होने पर ये सूचना उनके ससुराल पहुचने पर उनकी धर्म पत्नी श्रीमती चम्पा कँवर पुत्री श्रीमान गंगारामजी पांचलोड उनके पिसे सती हुई, श्रीमती चम्पा कँवरजी पांचलोड विक्रम स्वत् 1307 वेशाग शुद 11 के दिन सती हुई,
ये सम्पूर्ण जानकारी रावजी के चोपड़े के अनुसार है,
हमारे गाँव के रावजी गाव ढाबर जिला पाली के निवासी है,
श्री मोटलजी सांथूआ का मंदिर गाँव से वाला (नदी) के ऊपर स्थित है
सती माता श्री चम्पा कँवरजी पांचलोड का मंदिर हमारे गांव के निवास स्थान के आम चोहटे पर स्थित है
इस मंदिर का निर्माण 3 साल पहले करवाया गया है
श्री मोटलजी सांथूआ व सोनगरा चौहान का मंदिर बना हुआ है उनको सांथूआ व चौहान मामोजी के नाम से पूजा जाता है!
जहा आज भी हर साल परिवार के लोग जागरण करते है
मीठी प्रसादी का भोग ही लगाया जाता है!
उस समय जालोर पर पृथ्वीराज सोनगरा चौहान का शासन था,
श्री मोटलजी सांथूआ के तीन पुत्र थे
श्रीमान डुंगरसिंहजी,करमचंदजी,पातोजी तीन भाई थे,
विक्रम स्वत 1307 में शासक पृथ्वीराज सोनगरा चौहान जालोर के द्वारा हमको जागीरी भवराणी में मोटलजी सांथूआ के तीनों पुत्रो को दी गई,
प्रथम पुत्र श्रीमान डूंगरसिंहजी को कहा कि आप अपनी धोती को पानी मे भिगोकर पहने जब तक धोती सुख जाएं उससे पूर्व मेरे घोड़े पर सवार होकर आप जितनी जमीन घेर सकते हो वो आपकी जागीरी होगी!
उस समय जालोर रोड से खण्डप रोड तक जागीरी सांथूओ को दी गई
उस क्षेत्र का नाम खोखरी व रेल के नाम से जाना जाता है!
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